लेकिन सिर्फ हिंदू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाषाई सांप्रदायिकता के स्थायी संकट में फंसा हुआ है।
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लेकिन सिर्फ हिंदू-मुस्लिम ही नहीं बल्कि जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाषाई सांप्रदायिकता के स्थायी संकट में फंसा हुआ है।
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विश्व के पैमाने पर जब पूंजीवादी व्यवस्था एक दुर्निवार और स्थायी संकट में फंसी हुई है, हमारे देश के शासक वर्ग ने पूंजीवादी-सामंती व्यवस्था के अंतर्गत पूंजीवादी विकास का जो कार्यक्रम चुना है, उसके गंभीर नतीजे हमारे सामने हैं।